Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 38
________________ [१३] फरमान सप्ताह की अहिंसा का, अकबर शाह से पाया।ज०।१३॥ गुरु के नाम से पावे धन सुत. यश सौभाग्य सवाया। चारित्र दर्शन गुरु चरणों में. भावनैवेद्य धराया जग०॥१४॥ काव्यम्-हिंसादि मंत्र-ओं श्री नैवेद्यम् समर्पयामि स्वाहा अष्टमी फल पूजा। __-दोहासोलसो तेपन भादो में, सुदि ग्यारस की रात। गुरुजी स्वर्ग में जा बसे, ऊना में प्रख्यात ॥१॥ अग्निदाह के स्थान में, फले बांझ भी अाम । सन कर दुःख दिल में धरे, अकबर अपने धाम ॥२॥ अकबर से पाकर जमीन, लाडकी करे वहाँ स्तूप । जो परतिख परचा पूरे, नमे देव नर भूप॥३॥ आबू पाटण स्थंभना, राजनगर जयकार । सूरत हैद्राबाद में, बने श्री हीर विहार ॥ ४ ॥ आगरा महुवा मालपुर, पटणा सांगानेर । नमुप्रतिमा स्तूप पादुका जयपुर आदि शहेर ॥५॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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