Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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( २३ )
॥ श्लोक ॥
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सकल सूरिपुरन्दरसूरय परमपूज्यगुरुश्रीहीरय । भवजना शुभ भावक पूजनं लद्दति वाञ्छित सुखसमागमम् ॥१॥ ह्रीं श्रीं श्रीपरमगुरुश्रीद्दीरविजयसूरीश्वरचरण
-कमलेभ्यो नैवेद्य यजामहे नमः ॥ ८ ॥
इम गुरु गुण वृंदं शुद्ध भावेन किती. परमगुणनिधानं ऋद्धिविजय स्तवंती । प्रति दिवस मनंतं पूजयं पूजयंती, परमसुख निवासं लक्ष्मी लीला लहंती ॥ १ ॥ श्रीँ ही श्रीँ श्रीपरमगुरु श्री द्दीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्योऽष्टद्रव्यं यजामहे नमः
॥ काव्यम् ॥ श्रीमत्तपागण शुभाम्बर धर्मरश्मिः श्रीसूरि हीरविजयो ऽजितमानलक्ष्मीः । यस्योपदेश वचनाद् यवनेषु मुख्यो हिंसानिराकृति परः प्रगुणो बभूव ॥ १ ॥
॥ इति समाप्ताऽष्टप्रकारी पूजा ॥
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न है.
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