Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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॥ अथ दादा जीका पद ॥ ढाल-उंबरियो ने गाजे हो भटियाणी राणी बड चूवै।
कांह भरमर बरसे मेहा। ए देशी॥ आज दहाडो सफलो हो गुरुचरणांबुज मैं मेटीयां, काईप्रगट यांपुण्यनांसाज,अशुभदाहाडाटल्याहोशुभवलीयादेह। श्राज माहरां काई सरीयां मननां काज।प्रा.॥१॥ मुज घर सुरतरू फलीयो, हो मुज मिलीया गुरुदेव हमारो। थाहरोचरनारो दासा पास धरी, तुम पासे ही मन उल्लासे । प्रावियो गुरुदास निबाजो रीज । प्रा. ॥२॥ गुरु दरशण अब पायो हो मन भायो,
छित पामियो रमीयो गुरुगुणे । आज गुरुगुणे जे मर रमता हो मन गमता, लछी पामता काई लहता गुरुगुणे आवाज । पा.॥३॥ श्रीगुरुने परंभावे हो कोई दिन दिन,
आनन्द प्राजे सफल फले साहू काज । श्रीगुरुने पर भावे हो बहु पावे घर सुख,
सम्पदा काई आपदां आये भाज श्रा.॥४॥ श्रीगुरु देव प्रसादे हो वली बधे,
पुत्र कलत्रयी काई मिले सख समाज । दयारुचि गुणगावे हो मन भावे,
श्रीगुरु देवना सेवनां लहि में आज । प्रा.॥५॥
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