Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
View full book text ________________
( २५ ) अथ दादा हीरविजय सूरी स्तवन । आज बधाई मेरे रङ्ग बधाई, गुरुचरणां सुपसायैरे, आ.। .. मौतिडे मेह वुठारे ॥ श्रा.॥ मङ्गलमाज मेरेघर फलीयां,सुखसम्पत्तिघरआईरे॥श्रा.॥१॥ वरषानंद भयो दिलमैरे, सुद्धसमकितपालपाइ रे॥श्रा.॥२॥ श्रीगरुचरण कमल दरशण ते, सुमति सही दिल आई रे॥पा.३ दादा श्रीबिजैहीरसूरीश्वर,दिशो दिशि सजसगवाई रे॥प्रा.४ ॥ अथ हीरविजय पद ॥॥चाल जिंदवारी ॥ श्रीगुरुध्यान धरो सदा, शुभ मन सुखकार पटेक ॥ भीगरुमाने जै दिलधरै, पामै सुख अपार । श्रीगरुध्यान जै भावतां गुरु प्रातम भार ॥ श्री. ॥ १॥ गदरशण सख उपजै, होवे जय जयकार । समकित पामे प्राणीयां, पूजो सह नरनार ॥ श्री. ॥२॥ निरमल पहेरी घोतियां, घसी केसर घनसार । श्रीगुरुदेवकु पूजीयें, गरु जग आधार ॥श्री.॥३॥ तपगच्छनायक राजीयो, दादो सेवक आधार । दादो दुनियां मे देवता, जिनशासन जयकार ॥ श्री. ॥४॥ तपगच्छसंघ सांनिध्यकरो, करो सहुविधन निवार । दिन दिन जस चढती कता, वपुत्रपरिवार ॥ श्री.॥५॥ श्रीहीरविजय सूरिसाहिबो, गुरु गणनो भंडार । चरणकमलमें मेटीवा, फतेन्द्रविजयके आधार ॥धी.॥६॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
Loading... Page Navigation 1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62