Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 47
________________ ( २२ । . ॥ढाल ॥ श्रीफल कदली सिताफल, दाडिम सरस बदाम । निमजा पिस्ता चारोली, नवनवा मेवां नाम ॥ १ ॥ प्रांबा रायण करणां, नारिंजी फल सार । छाब मरी गुरुने पूजो फल पूजा सुखकार ॥२॥ ॥श्लोक ॥ गुणफलैर्मलदोषनिवारकंबहलमोहतिमिरविनाशकम्। सकलसेवकवाञ्छितदायकं विजयहीरसूरीश्वरनायकम् ॥१॥ ओं ही श्री श्रीपरमगुरुश्रीहीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्यः फलं यजामहे नमः ॥ ७ ॥ अथाष्टमी नैवेद्यपूजा। ॥दोहा॥ गुरु पूजा ए आठमी, कीजिये मन उल्लास । शुभ नैवेद्य भले भाव से, धसे गुरु संमुख पास ॥१॥ ॥ ढाल ॥ लाड घेबर पेडा, खुरमा खाजां सार। मोतीचूर में बरफी, माबो वनी कंसार॥१॥ __ साकर फेणी जलेबी, विविध जाति पकवान । ठवो श्रीगुरु मुख पागले, अष्टमी पूजाए मान ॥२॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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