Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 45
________________ ( २० ) ॥ श्लोक ॥ समसुगन्धकरं तपधूपनं सकलजन्तुमहोदयकारणम् सकलवाञ्छितदायकनायकं श्रीगुरुहीरसुरीचरणं यजेत् ॥१॥ ओँ हौं श्री श्रीपरमगुरुश्रीहीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्यों धूपं यजामहे नमः ॥ ४॥.. अथ पञ्चमी दीपकपूजा। ॥दोहा॥ पांचमी पूजा गुरुतणी, करिये दीपक सार मिटे तिमिर मिथ्यात्व सब, एह पूजा अधिकार ॥१॥ ॥ ढाल ॥ भाव दीपक गुरु पागलें, रिथे शुभ व्यवहार द्रत्यं दीपक भले करीइ, जन्म सफल अवतार।।१।। दीप पूजा करतां सही, लहीए ज्ञान विशाल गुरु पूजा मनोवांछित, श्रापे मंगल माल ॥२॥ ॥श्लोक ॥ विमलबोधसुदीपकधारकः परमज्ञानप्रकाशकनायकैः गुरुगृहे शुभदीपकदीपनं भवजले निधिपोतसमो गुरुः ।।१।। ओं ही श्री श्रीपरमगरुश्रीहीरविजयसूरीश्वरचरणकमलेभ्यो दीपं यजामहे नमः ॥५॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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