Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 20
________________ ( १३ ) समय के खरतर गच्छ के प्रसिद्ध प्राचार्य श्रीजिनचन्द्र सूरिजी को मुलतान के लिये एक फरमान प्राप्त हुआ था इसमें भी लेख मिलता है कि "उन्हों (जिनचन्द्रसूरि) ने प्रार्थना की कि इस से पहिले हीरविजयसरि ने सेवा में उपस्थित होने का गौरव प्राप्त किया था और हर साल बारह दिन मांगे थे, जिनमें बादशाही मुलकों में कोई जीव मारा न जावे और कोई आदमी किसी पक्षी, मछली और उन जैसे जीवों को कष्ट न दे । उनकी प्रार्थना स्वीकार हो गई थी। अब मैं भी अाशा करता हूं कि एक सप्ताह का और वैसा ही हुक्म इस शुभचिन्तक के वास्ते हो जाय.” (युःप्राजिनचन्द्रसूरि पृ-२७८) ____ इन सब ऐतिहासिक प्रमाणों से सिद्ध है कि जगदगुरु श्री विजयहोरसूरीश्वर जी और उनके शिष्य परिवार ने सम्राट अकबरपर अहिंसा की अमिट छाप जमादी थी,ऐसे महाप्रतापी सूरि पुगवने ही सम्राट को प्रतिवोध दिया और अहिंसा की भागीरथी भारत में बहाई, सूरिजी ने अनेक नगरों में प्रतिष्ठायें कराई अनेक शिष्य बनाये आपकी आशा में २५०० साधु थे,१०८ पंडितथेऔर ७ उपाध्याय थे। आपमहातपस्वीथे आप ने अपने जीवन में जो मुख्य तपस्या की थी उस का उल्लेख इस प्रकार है १८० बेले, २२५ तेले २००० अांबील २००० निवी बीस स्थान की तपस्या बीस दफे ग्यारह महीने की प्रतिमा इनके अलावा सूरिमन्त्र पाराधन समय और दूसरी भी तपस्या करने का लेख मिलता है। विशेष के लिये देखो हीरसूरि रास, आप Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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