Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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[७] चतुर्थ धूप पूजा
दोहा अकबर दिल में चिंतवे, भारत का सुल्तान । वुला गुरु हीरजी, जैनो का सुल्तान ॥ थानसिंह श्रोसवाल को, बोले अकबर शाह । वुलावों गुरु हीर को, सुधरे जीवन राह ॥२॥ थानसिंह कहे जहांपनाह, दूर ही है गुरुराज । अकबर कहे पर भी उन्हें, बुलावो मय साज ॥३॥
(ढाल-४) (तर्ज- शहीदो के खून का असर देख लेना) हीर सूरि को बुलाना पड़ेगा, हमको भीदर्शन दिलाना पड़ेगा। धन गुर्जर है ऐसे गुरु से, वहां से गुरु को बुलाना पड़ेगा॥हीर॥१॥ राजाराणी दर्शन पावे,उनकाही दर्शन दिलाना पड़ेगाहीर ॥२॥ माम जापसे दुःख विडारे,ऐसे फकीरको यहां लाना पड़ेगा ॥३॥ वहीं से रहारा देवेचंम्पाको, उस ओलिया से मिलाना पड़ेगा। घर दुनिया को दिल से छोड़े,खुदा का बन्दा बताना पड़ेगा॥५॥ सब जीवों की रक्षा चाहे, यही कृपारसपिलाना पड़ेगाहीर॥६॥ स्यागी ध्यानी पंडित ज्ञानी, उन्हों का उपदेश सुनाना पड़ेगा॥७॥ सब मजहब से वाकेफ साहिब, उनका भीमजहब सुनाना पड़ेगा। तेरा गुरु है मेरा गुरु है, ठेका भी हो तो तुड़ाना पड़ेगा ॥६॥. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com