Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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सहायक का परिचय इस पुस्तक के सहायक महानुभाव का संक्षिप्त परिचय देना उचित समझते हैं । आपके दादाजी बीकानेर निवासी थे, आपका जन्म वि० सं० १८७५ में हुआ था, आपका नाम गोरूमलजी था, आप व्यापाराथें जयपुर पधारे और यहां ही कायम का वसावट कर लिया; आप व्यापारिक प्रवृत्ति बैठाते रहे थे, और साथ में सामाजिक और धार्मिक कार्य भी अच्छी तरह करते थे। जयपुर का सबसे प्राचीन “तपों का मन्दिर" के कार्यकर्ता एवं ट्रस्टी थे। श्रापके समय में मन्दिरजी में अच्छी तरक्की हुई थी। आपके सौभाग्यमलजी, समीरमलजी, हमीरमलजी और फतेलालजी चार पुत्र थे। आप अच्छी तरह धर्म ध्यान करते हुए वि० सं० १९६६ के प्रथम श्रावण सुदी २ को स्वर्गवासी हुए। आपके उस समय चार पुत्र के अलावा नव पौत्र और ४ पड़ पौत्र थे। जिनका नाम यह है दीपचन्दजी, रूपचन्दजी, अमरचन्दजी चाँदमलजी कन्हैयालालजी, भूरामलजी, गंभीरमलजी, नेमचन्दजी, प्रेमचन्दजी पौत्र और गुलाबचन्दजी, मेघराजजी, चन्दनमलजी,रतनचंदजी पड़ पौत्र थे।
फतेलालजी के बड़े पुत्र का नाम चाँदमलजी है जिनका जन्म वि० सं० १९३१ के मार्गशीर्ष बुदि २ को जयपुर में हुवा था, आपके पुत्र का नाम चन्दनमलजी है और कलकत्त में जवाहरात का व्यापार करते हैं । फर्म का नाम चाँदमलजी
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