Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala

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Page 25
________________ ( १८) श्री जगत्गुरु स्थापनादि मंत्र १. माहवान मंत्र-(आहवान मुद्रा करके बोलना) ___ही श्री अर्ह युगप्रधान,भट्टारक श्री हीरविजयसूरि जगद्गुरो! अत्र अवतर अवतर स्वाहा। २. स्थापना मंत्र-(स्थापन मुद्रा करके बोलना) ॐ हीं श्री अहं युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजयसूरि जगद्गुरो! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ठः स्वाहा । ३. सनिधि करण मंत्र___ ही श्री अह युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजयसरि जगद्गुरो! मम सन्निहितो भव भव वषट् स्वाहा। ___श्री जगतगुरु की अष्टप्रकारी पूजा की सामग्री(१) पंचामृत कलश (५) दीपक (२) केसर चंदन | (६) सवापाव या सवासेर अक्षत (३) फूल फूलमाला | (७) नैवेद्य ५ या ३६ या ५८ (४) धूप (E) फल ५ या ३६ या ५८ ® शुद्धि अशुद्धि पृ. " पं० १३ मुद्रित-पंडित एक सो पाठ थे, शुद्धि-पंडित एक सो साठ थे, पृ. १२ पं. २ मुद्रित-अम्बू सूत्र सुनाया ॥ ज०॥३॥ शुद्धि-जम्बू कृत्ति बनाया ॥ ज•॥३॥ पृ. १३ पं. ८ मुद्रित-सोलसो तेपन भादो में, शुद्धि-सोलसो बावन भादो में, पृ. १३ पं० ११ मुद्रित-मुन कर दुःख दिल में धरे, शुधि-दिखावे गमी, मुगट छोड़, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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