Book Title: Jagadguru Heersurishwarji Author(s): Punyavijay Publisher: Labdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan View full book textPage 4
________________ : प्रकाशकीय : आपके आगे एक ऐसे महापुरुष के जीवन चरित्र का ग्रंथ प्रकाशित कर रहे है कि, आप एक बार उसको पढोंगे तो आपके जीवनमें कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर आयेगा। 'सोलवीं शताब्दी के जगदगुरु हीरसूरीश्वरजी' मामक ग्रंथ पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद्विजय भद्रंकरसूरीश्वरजी महाराज के शिष्यरत्न पू. मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजी महाराजनें लिखा है। उक्त मुनिश्री हमारी संस्था किस तरह से सर्वजनबोधकअभिनव प्रकाशनें शीघ्र प्रकाशित करके ज्ञानभक्ति की अपूर्व सेवा बनावें' उनके कार्य में सदैव मग्न रहते है। अतः उन मुनिश्री का हम अत्यंत ऋणी है । हमारे संस्था के हिन्दी प्रकाशनों की प्रेसकॉपी करनेमें नवयुवक सुंदरलाल-मांगीलाल एवं कान्तिलाल और जैनमिशन सोसायटी ने अच्छा सहयोग दिया है। उन सबके हम आभारी है। ग्रंथ प्रकाशन में आर्थिक सहयोग देनेवाले महानुभावों को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। और प्रार्थना करता हूँ कि, आगे भी ऐसे प्रभावक महापुरुषों का जीवनचरित्र प्रकाशित करके आबालवृद्ध को गुरुगुणानुवाद को लाभ देवें।। जिससे अपना किमती जीवन कैसे सफल बनें वे विदित होवे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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