Book Title: Itivuttakam
Author(s): Jagdish Kashyap
Publisher: Uttam Bhikkhu

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Page 24
________________ इतिवुत्तकं [ ११३५ सन्धावतो संसरतो सिया एवं महा अट्ठिकंकालो अट्ठिपुञ्जो अद्विरासि यथायं वेपुल्लपब्बतो, स चे संहारको' अस्स, सम्भतञ्च न विनस्सेय्या'ति। एतं अत्थं भगवा अवोच, तत्थेतं इति वुच्चति एकस्सेकेन कप्पेन पुग्गलस्सट्ठिसञ्चयो' । सिया पब्बतसमो रासि इति वुत्तं महेसिना ॥ सो' खो पनायं अक्खातो वेपुल्लो10 पब्बतो महा। उत्तरो गिझकूटस्स11 मगषानं गिरिब्बजे ॥ यतो च12 अरियसच्चानि सम्मप्पाय पस्सति ।। दुक्खं दुक्खसमुप्पादं दुक्खस्स च अतिक्कम । अरियं1 3 अठंगिकं13 मग्गं दुक्खपसमगामिनं । स। सत्तक्खत्तुं परमं सन्धावित्वान पुग्गलो॥ दुक्खस्सन्तकरो होति सब्बसंयोजनक्खया ति । अयं पि अत्थो वुत्तो भगवता इति मे सुतन्ति ॥४॥ (२५–सम्पजानमुसाबद-सुत्तं १।३।५) वुत्तं हेतं भगवता वुत्तमरहता' ति मे सुतं-"एकधम्म अतीतस्सा भिक्खवे ! पुरिसपुग्गलस्स नाहं तस्स किञ्चि पापकम्मं अकरणीयन्ति वदामि। कतमं एकधम्म18 ? यथयिदं19 भिक्खवे ! सम्पजानमुसावादो ति20। एतं अत्थं भगवा अवोच, तत्थेतं इति वुच्चति २४ । एवं सम्परायिका महा, B. अटिकनाकलो, B. M.P.(द्रष्ट० संस्कृते कडकालः, अस्थिकङकालः); अट्ठिकलो, C.D.E.; A पुस्तकेअट्रिकलो ति अद्विभागो; अटिचलो (?) ति पठन्ति अट्ठि-सञ्चयो ति अत्थो। 9 अद्विरासि पि, B. + वेपुल्लो पब्ब°, B. संहारको, D.E. M.P. Pa.; संहारो को C.; संपहारतो, B. संहतञ्च, C. 'एकस्सेकस्स पुग्गलस्स अट्ठिसञ्चयो, C. 8 महेसिव, C. यो C. 10 वेपल्ल, D.E. 11 किज्झ°, B. 124 A त्यज्यते M. 13 अरियडगिकं, B.M.P.Pa. 1 *दुक्खुप°, B.M.P.Pa. 1 इत्यज्यते. B. २५. 1 एकं ध°, B.C. E. P. Pa. 17 भणितस्स, P. Pa. 18एकंध°,C. 1 यथायिदं, B.C. ०ति-त्यज्यते.D.E.P.Pa. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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