Book Title: Itivuttakam
Author(s): Jagdish Kashyap
Publisher: Uttam Bhikkhu
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२–दुकनिपातो
१-पठमोवग्गो
(२८--इन्द्रिय-सुत्त २।१।८) __ वुत्तं हेतं भगवता वुत्तमरहता ति मे सुतं--"द्वीहि भिक्खवे। धम्मेहि स मन्नागतो भिक्खु दिट्ठ'व धम्मे दुक्खं विहरति सविघातं स-उपायासं? सपरिळाहं कायस्स भेदा परम्मरणा दुग्गति पाटिकङखा। कतमेहि द्वीहि ? इन्द्रियेसु अगुत्तद्वारताय च3 भोजने अमत्तञ्जताय च । इमेहि भिक्खवे ! द्वीहि धम्मेहि समन्नागतो भिक्खु द्विद्वैव धम्मे दुक्खं विहरति सविघातं सउपायासं सपरिळाहं, कायस्स भेदा परम्मरणा दुग्गति पाटिकङखा'ति ।” एतमत्थं भगवा अवोच, तत्थेतं इति वुच्चति--
चक्खु सोतञ्च घानञ्च जिव्हा कायो तथा मनो। एतानि यस्स द्वारानि अगुत्तानि'ध' भिक्खुनो । भोजनम्हि अमत्तञ्ज 9 इन्द्रियेसु असंवुतो। कायदुक्खं चेतोदुक्खं दुक्खं सो10 अधिगच्छति ॥ डरहमानेन कायेन डरहमानेन चेतसा। दिवा वा यदि वा रत्तिं 11दुक्खं विहरति तादिसोति ॥ अयम्पि अत्थो वुत्तो भगवता इति मे सुतन्ति ॥ १ ॥
चेव, B.P.Pa., A. अ. सउप्प°, B.A. अ. त्यक्तः B. + अगुत्तद्वारो... अमत्तञ्ज, A अ.; इति पाठान्तरं पुस्तके चेव, B.
भिक्खु, D.E. च, B.D.E. Aa.; अवुत्तानिधC. भो°च,C. ५°ऊ, M.; °उ, B.C.D.E.; अप्पमत्त्°, P.Pa. 1 °दुक्खे सो, C.; दुक्खतो, B.; A. पुस्तके दुक्खंसो न समस्तंपदं यथा मेत्तंसो सुत्त २७ 11°रत्ति, B.P.Pa.
२।१८ ]
[ २१
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