Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani Author(s): H C Bhayani Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 9
________________ [9] चिंतामणि पत्थर किम तुल्लइ कहु, किम हंसकाय भम भुल्लइ, सायर होइ केम छिल्लर छलि, रंक सु केम तुलइ भूवइ बलि ॥७५ छंद भूवई बल तुलइ केम बल रंकह पंक हुइ किम वारि, सहसकर-करि किम उप्पम दिज्जइ भद्दव निसि अंधारि, गद्दह किम नाग माग किम ऊवट कायर किम नरवीर, ललियंग-कुमरवर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ||७६ ससहर-करि किम घम्मह उप्पम, अमियकुंड किम हाला-सम जिणवर-जाख बिहु बहुअंतर, पित्तल हेम जेम घण अंतर ॥७७ अंतर घण सुयण अनइ दुजण-जण अंतर सरसव मेर, अंतर जिम मुगति महासुखसंपति बहुभव संभव फेर, अंतर जिम बहु लवण कप्पूरह अंतर जिम पय खीर, ललियंग-कुमरवर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ॥७८ अड्डिल अंतर जिम पंडिय-जण मुक्खह, अंतर जिम नारयगइ मुक्खह, अंतर जेम दासि कुल-वहुअह, अंतर इक्क अनि बहु-बहुअह ।।६९ बहु अंतर बहुइअ इक्क जिम अंतर बंभण जिम सोवाग, अंतर आयास धरणि जिम अंतर अंतर सल्लरि साग, अंतर जिम साधु अनि सावयजण अंतर सायरतीर, ललियंग-कुमरवर सुणि विण्णत्तिय समरथ साहस-धीर ।।८० कलशषट्पदः सायर सवि झलहलइँ चल िजव अट्ठ कुलाचल, धरणि धरइ आकंप कप्पि कंपइँ विसुराचल । चंद नविअ अंगार सूर सिरजइ तमभर (?) धाराधर नवि झरई धरइ नवि सेस सयल धर, सुपुरिस ससत्ति तोइ नवि चलइँ, निय-अंगीकिय-गुणवगुणि ललियंग-कुमरवर वीनती एह अम्ह वलि वलि निसुणि ॥८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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