Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan
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गुणियण-जण -संगय संगइ केम कुमर तुअ तुअ सत्थि महा-सुह-संपइ कारणि कवणि हुअ । हुअ जम्म सुरम्म कुमारह किणि परि कवण कलि कुलवंत सु आखित दाखित सुह मह कहियवलि ।। ३८७ तव बुल्लिय सज्जण दुज्जण वयण विरासजुअं महासय म पुच्छसि वंछिसि जइ बहु आय-सुहं । मणि संकिय ताम नरेस विसेसिहि दुट्ठ पुण लहु जंपइ सुयण ति सामिय कामिय ईस सुणि ।। ३८८
गाथा
इक्कतो तुह आणा, इक्कतो कुमर-राय निस्सेहो । इअ जह पवित्ति कहणे, अहो वियडसंकडं मज्झ ॥ ३८९ तह वि हु बहु हेअ नरेसर, सिरिम महिंद नंद चिर-कालं । जह तह कुमार-चरियं, अच्छरियं पुण सु मह एयं ॥ ३९० सिरिवास-नयर-सामिय, नरवाहण-नंदणो अहं देव । अम्ह घर-कोरियस्स उ, सुओ महाराय एस लहु ॥ ३९१ पगईए रूव-गुणो, कुत्तो च्चिन पत्त-बहुल-विज्जधणो । निय-कुल-तवाइ गेहं, चिच्चा देसंतरं गनो ॥ ३९२ इत्थागयस्स तस्स स, नरवर तुम्हाणुरागजोगाओ । पुवज्जिय पुण्णेणं जं जायं तं तए मुणियं ।। ३९३ ।। विशेषकम् । पिउणो पराहवाओ, अहमवि देसंतरं तओ कमसो । पत्तो इहोवलक्खिय, मम्मणो एस कुमरेण ॥ ३९४ इय चिंतिय दाऊणं, बहु-माणं मज्झ नाम सुयण । उग्घाडेसु नरेसर-पुरओ, कहिऊण संठविओ ॥ ३९५ ॥ युग्मम् एएण कारणेणं ललियंग कुमार वुज्ज (?) पायस्स । नाह कहमि कहवि, कह, परं परा सामि तुह आणा ॥ ३९६
पद्धडी इम सुयण-वयण-विस-घारियंग मणि चिंतइ भूवइ अइ-विरंग । ।
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