Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 49
________________ [491 खड-खडइ खग्ग खेडय खटक्क त्रुटुंति सरल धणु गुण तडक्क । किवि करइ धणुह-टंकार-नद्द फुटृति फोडि बंभंड सद्द ।। ४४९ सिंगिणि-गुण वज्जइ तरलतीर कर फलह फुट्टि विधइ सरीर । किवि-करइँ वीर मुहि सीह-नाद इक इक्क घाइ गुण लिंति वाद ॥ ४५० झडि पडइ सुहडधड उवरि मुंड घण-घाइ के-वि किज्जइ दु-खंड । खलहलि खोणि-तल रत्त खाल संपुण्ण-पलल-जंबाल-जाल ॥ ४५१ इक इक्क के-वि नामइँ न सीस मारत इक मणि सरइँ ईस । इक चडइ तुरंगमि अस्सवार भेदिज्जइ भड इक्क भल्लधार || ४५२ संभरइ इक्क घर-घरणि वीर फुरकंति पवणि भड-मोलि-चीर । इक चडइ सुहड रण दंति-दंति कि-वि धरइ किवण अंगुलिय दंति ॥ ४५३ नासंति इक्क निय जीव लेवि सज्जति सुहड सन्नाह के-वि । बुल्लति सुहडवर बिरद बंद पिक्खंति गयणि सुर इंद चंदं ।। ४५४ चउसट्ठि चंड चामुंड नार भरि खप्पर रुहिर पियंति वीर । वज्जति महारण तूर घोर जसु सवणि सूर उप्पजइ जोर ।। ४५५ इम हुअ बिहुं दलि रण बहुअ वार, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61