Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan
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रोडिता छंद संक्या सयल सुर-नरेस, पायालिनाग असेस, मेल्हति धरणि सेस, सूभर- भरं । चलइँ चउदिसि दिग्गय-चक्क, हुअंतिसु हक्कोहक्क, भजंति कायर फक्क, नासतनरं ।। कंपइ सयल कुल-गिरिंद, चालंत मत्त-गयंद, ढलंत ढालसु-विंध, सोहतघणं । इम मिलंति कुमर-सेन फिरंति अंबरि सेन, डरंति दुयण केन, देखत खणं ।। ४४० खणि खणि मिलिय महा-दल समहरि विलसई वीर महाबलि समहरि । सिंह-नादि सामत्थिम दक्खई निय-कुल-ठामि सामि छल रक्खई ।। ४४१
नाराचछंद रहंति नाम चंद जाम तासु सग्ग-संवरा वरंति जीणि हेउ तीणि जुज्झ-कज्ज-सुंदरा । सुजोड जीण जरद अंगि जीव-रक्ख-सोहिया मिलंति सूर समर-तूर-सद्द-नद-खोहिया ॥ ४४२ खुहिय खित्ति नीसाण-निनद्दिहिं ढमढम-ढक-दल-घण-सदिहिं । भरर-भेरि-भंकार ति वज्जइँ जाणि कि पावस थण घण गज्जइँ ॥ ४४३
गगनगति गजंति मेह कि गयणि गडयड गुरूअ-गइवर-मंडलं बहु छत्त-धयवड-सीस-सीकिर-छन्न-रवि-ससि-मंडलं । तरवारि-तीर-सुतरल-तोमर-चक्ककुंत-सुसत्थयं खण-खित्ति इम दुइ सिन्न समवडि अन्नमन्न सुपत्थियं ॥ ४४४
यमकबोल
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