Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 42
________________ [42] फिट फग्गु भग्गु भर अम्ह देव किम कारिय उत्तम नीय-सेव || ३९७ पण बद्ध लद्ध जई कण्ण ईणि किय मलिण रज्जमह देउ कीणि । जइ चरइ पिराई खरसुदख नवि होइ किपि हियडइ अणक्ख ॥ ३९८ वरि भलउ विसानरि सुह-पवेस नवि भलउ कुल(लु)ज्जिय जण पवेस । वरि भलउ किद्ध परगेहि दास नवि भलउ कुलुज्जिय सह निवास ॥ ३९९ वरि भलउ भावि सह वेस रंग नवि भलउ कुल(लु)ज्जिय पुरिस-संग वरि भलिय रायति सुण्ण साल णवि पूरिय पुणरवि चोर-माल ॥ ४०० जइ तापउ महातवि तणु किलामि ठाईइ सिउँ ति विसतरु-कु-ठामि । पामीइ जइ-वि घय सालि दालि कामीइ सिउँ तिमरु-लहुअ-सालि ॥ ४०१ साहीइ सुबुद्धिहिँ अप्प-कज्ज उप्पज्जइ जेम नवि लोय-लज्ज । खाईइ चोरि निय-गुड नियाणि इम कहिय लोय उहाणि जाणि || ४०२ चिताविय चित्ति इम नरवरेसि ललिअंग कुमार कुमार-रेसि । पट्टविय पेसियर छन्न रत्ति ।। गम-निग्गम अह-विचि-मज्झ घत्ति ।। ४०३ सामी सुह-संगम सेज लीण नव-गाह-गेय-गुण रमण-पीण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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