Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan
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जय जय भणंत इम बहुअ जण, नयण-कमल विहसिय कुमरि । श्रीवास-नयर-वर-राय-सुअ वरिउ वीर वामंग-वरि ॥ ३३५
गाथा अह सयलो निवपुर जण-वग्गो लग्गो कुमार-पयमूले । कर-कमल-मउल-हत्थो, विण्णत्तिं कुणई पुण एवं ॥ ३३६ सामिय निय-जण-कामिय-कप्पदुम कय कयत्थ-निय-रज्जो । पुप्फाई पुत्तीए पसीय पाणिग्गहेण समं ।। ३३७
छंद इम पत्थिय ललियंग-कुमारं, हक्कारिय-बहु-जण-संभारं । मंडिय-मेह-महा-झड जंगं, पमुइअ-सजण-मण-बहुरंगं ।। ३३८
त्रिभंगी छंद बहु-रंग-सुरंगं कारिय-चंगं चंपा-दंगं सयलंगं बहु धयवड-फारं तोरण-सारं नरवइ-बारं सिंगारं । दिज्जंत-सुदाणं घण-सम्माणं विहलिय-माणं किविण-जणं जियसत्त-नरिंदं धरिआणंदं कयसुच्छंदं सुयण-मणं ॥ ३३९ कारिय-पुप्फावइ-सिंगारं, सिणगार(रि)य ललियंगकुमारं । चाडिय गइंवरि धरि सिरि छत्तं, बिहुँ पखि चमरढलंत संजुत्तं ।। ३४० चामर-संजुत्तं नव-नव-पत्तं नव-नवरस-भरि नच्चंतं । जय-मंगल-सई बिंदिणिवदं हय-गयरुह-भड-संमदं । पहिरिय-नव-वेसं सुगुण-निवेसं सयल-नरेसं सह पेसं रामा रसि रासं बहुअ--उल्हासं धवल-सुभासं दित-रसं ॥ ३४१
ओं ओं मंगल संख-सबई, धों धों धपमप-मद्दल-सदं । भां भां भेरि भरर-भांकारं द्रुमम द्रुमम दुडबडिय अपारं ।। ३४२ दुडबडिय अपारं दो दो कारं झागडदगि झल्लरि. कंकारं वर-वेणु-सुवीणं, नाद-पवीणं सुर-नर-पन्नग-संलीणं । तल-ताल-कंसालं झाक-झमालं कलरव-पूरिय-भुवणालं महमहत-कपूरं मृगमद-पूरं कुंकुम-चंदण-पंकालं ॥ ३४३ भोयण-भत्ति-जुगति-अनिवारं, कप्पड-कणय-दाण-सिंगारं ।
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