Book Title: Isarsuri Virachit Lalitanga Charit apar nam Rasak Chudamani
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ [ 33 ] सहु अक्खउ अक्खय गुण - निवास ॥३२८ इम सुणिय कुमर-वर राय--वाणि, बहु-विषय- नमण-पुव्वंग - दाणि । कह देव सुकय आएस हेव, पुच्छइ जं होस्यइ मुणिसि तेव ॥ ३२९ गाथा इय निसुणिऊण राया, जायातुल्लाणुराग - वच्छल्लो चितइ संताणमहो, परोवयारिक्कचवलत्तं ॥ ३३० नाराच एम चिंति चित्ति भूव धूअभूरिभग्गसंगओ कुमारसार पुत्त- पेम-पाणि- वाणि-संगओ । कुमारि - गेहि चित्त - रेहि रेहियम्मि वच्चए सुतीइ पीइ दंसणिज्ज दंसणेण वच्चए ॥ ३३१ सुपुत्ति झति तुझ सत्ति - पुण्ण- पुप्फ-ताणिओ कुमार एस गुण-निवेस तुम्ह कज्जि आणिओ । संभलिय एम वयण खेम निय सुबप्प - वयणओ सा दिअइ माण चत्त-ठाण आससेण जयणउ ॥ ३३२ तउ तुरंत तीइ नयण सज्ज - कज्ज - कारणे कुमार राय राय - लोग-पच्चयावहारणे । सुगंध दव्व सव्व आणि मंडलग्ग मंडए सुनाणझाण... डंबरेण तंडए || ३३३ सुछत्र वल्लि चूरि पूरि तासु चक्खु - कूवया पोयमाण रायण रइस रूव भूवया । भणंत एम पत्तपेम पत्त देव सुंदरा न अग बहु विवेग जयसु देवि इंदिरा ॥ ३३४ - कलश षट्पद जयसुदेव मंदिर राय - कुल हर वर-दीविय | जय ललियंग-दिणेस पाय कमलिणि-संजीविय ॥ जय धारणि-धर- -कुच्छि - रयण बहु-गुण- गण -खाणिय । जय सुरसुंदरि रूवि भूवि भोगिंद सुमाणिय || Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61