Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 34
________________ ३३ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । समान तो जब ही होते हैं कि वे देहधारी हों । इस ‘नमोत्थुणं' के पाठ से तो वे लोग सिद्धों को वापिस बुलाते हैं, फिर भी तुर्रा यह कि अपनी अज्ञता का दोष दूसरों पर डालना । सज्जनों ! जरा सूत्रों के रहस्य को तो समझे ! ऐसे शब्दों से कितनी हंसी और कर्मबन्धन होता है ? हमारे सिद्ध मुक्ति पाकर वापिस नहीं आए हैं । पर मोक्ष प्राप्त सिद्धों की प्रामाणिकता इन मूर्तियों द्वारा बताई गई हैं कि जोसिद्ध मुक्त हो गए हैं उनकी ये मूर्तियाँ हैं। प्रश्न १६ : यदि ये मूर्तियाँ सिद्धों की हैं तो इन पर कच्चा पानी क्यों डालते हो? उत्तर : भगवान महावीर मुक्त हो गए, अब तुम फिर क्या कहते हो कि अमुक दिन भगवान गर्भ में आए, भगवान का जन्म हुआ, इन्द्र मेरु पर ले जाकर हजारों कलशों से भगवान महावीर का स्नात्र महोत्सव किया इत्यादि जो आप मुंह से कहते हैं, यह क्या है ? यह भी तो प्रच्छन्नरुपेण मूर्ति

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