Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 78
________________ ७७ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । हिंसा है । (२) गृहस्थ लोग गृहकार्य में हिंसा करते हैं वह हेतु हिंसा है । (३) जिनाज्ञा सहित धर्मक्रिया करने में जो हिंसा होती है उसे स्वरुप हिंसा कहते हैं । जैसे नदी के पाणी में एक साध्वी बह रही हैं । साधु उसे देखके पाणी के अन्दर जाकर उस साध्वी को निकाल लावे इसमें यद्यपि अनन्त जीवों की हिंसा होती है पर वह स्वरुप हिंसा होने से उसका फल कटु नहीं वह शुभ ही लगता है। इसी प्रकार गुरुवन्दन, देवपूजा, स्वधर्मी भाइयों की भक्ति आदि धर्मकृत्य करते समय छ:काया से किसी भी जीवों की विराधना हो उसको स्वरुप हिंसा कहते हैं। प्रश्न ५२ : पाणी में से साध्वी को निकालना या गुरुवंदन करने में तो भगवान की आज्ञा है ने ? उत्तर : तो मूर्तिपूजा करना कौन सी हमारे घर की बात हैं वहां भी तो भगवान् की ही आज्ञा है ।

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