Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai Author(s): Gyansundarmuni Publisher: Ratnaprabhakar Gyan PushpmalaPage 92
________________ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । शरीर आरोग्य रहता है, इससे उसके तप, तेज श्रौण प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। ६. मंदिर की भावना होगी तो वे नये नये तीर्थो के दर्शन और यात्रा करने को भी अवश्य जायेंगे । जिन दिन तीर्थयात्रा निमित्त घर से रवाना होते हैं उस दिन से घर में प्रपंच छूट जाता हैं । और ब्रह्मचर्य व्रत पालन के साथ ही साथ यथाशक्ति तपश्चर्या या दान आदि भी करता हैं, साथ ही परम निवृत्ति प्राप्त कर ध्यान भी करता हैं । ७. आज मुठ्ठीभर जैनजाति को भारत या भारत के बाहिर जो कुछ प्रतिष्ठा शेष हैं वह इसके विशालकाय, समृद्धि-सम्पन्न मंदिर एवं पूर्वाचार्य प्रणीत ग्रन्थो से ही है । ८. हमारे पूर्वजों का इतिहास, और गौरव इन मंदिरो से ही हमें मालूम होता है। ९. यदि किसी प्रान्त में कोई उपदेशक नहीं पहुंच सके वहां भी केवल मंदिरो के रहने से धर्म अवशेष रह सकता है । नितान्त नष्ट नहीं होता।Page Navigation
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