Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 86
________________ हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । ८५ मोक्ष का आनंदादि श्रावकों ने जिनप्रतिमा की वंदन, पूजन, कारण समझ के ही किया था और औपपातिक सूत्र में अंबड श्रावक जोर देकर कहता है कि आज पीछे मुझे अरिहंत और अरिहंतों कि प्रतिमा का वंदन करना ही कल्पता है । प्रश्न ६४ : ज्ञाता सूत्र में २० वीस बोलों का सेवन करना, तीर्थंकर गोत्र बांधना बतलाया है पर मूर्तिपूजा से तीर्थंकर गोत्रबंध नहीं कहा है ? उत्तर : कहा तो है पर आपको समझाने वाला कोई नहीं मिला । ज्ञाता सूत्र के २० बोलों मे पहिला बोल अरिहंतो की भक्ति और दूसरा बोल सिद्धओं की भक्ति करने सें, तीर्थंकर नामकर्मोपार्जन करना स्पष्ट लिखा है । और यही भक्ति मंदिरो में मूर्तियों द्वारा की जाती है । महाराजा श्रेणिक अरिहंतो की भक्ति के निमित्त हमेशा १०८ सोने के जौ (यव) बनाके मूर्ति के सामने स्वस्तिक किया करता था और भक्ति में तल्लिन रहने के कारण ही उसने तीर्थंकर गोत्र बांधा । कारण

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