Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 84
________________ ८३ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। पूजा की इससे हुआ हो तो वे सब एकावतारी हुए हैं । वे भव और पाप कहां पर भोग लिया । यदि भव घटिया एवं पुण्य बढा हो तो आपका कहना मिथ्या हुआ। प्रश्न ६१: यह तो हम नहीं कह सकते है कि भगवान् का महोत्सवादि करने से भव भ्रमण बढता है ? उत्तर : फिर तो निःशंक सिद्ध हुआ कि प्रभुपूजा पक्षालादि स्नात्र करने से भव घटते हैं और क्रमशः मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रश्न ६२ : यदि धामधूम करने में धर्म होता तो सूरियाभ देव ने नाटक करने की भगवान् से आज्ञा मांगी उस समय आज्ञा न देकर मौन क्यों रखा ? . उत्तर : नाटक करने में यदि पाप ही होता तो भगवान् ने मनाई क्यों नहीं की इससे यह निश्चय होता है कि आज्ञा नहीं दी यह तो भाषा समिति का रक्षण हैं पर इन्कार भी तो

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