Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai Author(s): Gyansundarmuni Publisher: Ratnaprabhakar Gyan PushpmalaPage 83
________________ हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । आचार से प्रतिमा पूजी उसमें हम धर्म नहीं समझते हैं ? उत्तर : जिसमें केवली गणधर धर्म समझे और आप कहते हो कि हम धर्म नहीं समझे तो आप पर आधार ही क्या कि आप धर्म नहीं समझे इससे कोई भी धर्म नहीं समझे । पर मैं पूछता हूं कि सूरयाभ देव में गुणस्थान कौन सा है ? सम्यग्दृष्टि देवताओं में चौथा गुण स्थान है । केवली में कौन सा गुणस्थान ? ८२ तेरहवां, चौदहवां गुणस्थान । चौथा गुणस्थान और तेरहवां गुणस्थान की श्रद्धा एक है या भिन्न भिन्न ? श्रद्धा तो एक ही है । जब चौथा गुणस्थान वाला प्रभुपूजा कर धर्म माने तब तेरहवां गुणस्थान वाला भी धर्म माने फिर आप कहते हौ कि नहीं मानते क्या ये उत्सूत्र और अधर्म नहीं है ? हम पूछते हैं कि इन्द्रों ने भगवान का मेरु पर्वत पर अभिषेक महोत्सव 'किया हजारों कलश पाणी ढौला सूरियाभादि देवताओ नेPage Navigation
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