Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 33
________________ રૂર हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । उत्तर : यह तो स्थापना है पर प्रभुवीर के पास एक करोड देवता होने पर भी समवसरण में दो साधुओं को गोशाला ने कैसे जला दिया था, भला भवितव्यता भी कोई टाल सकता है ? प्रश्न १५ : जो लोग यह कहते हैं कि 'पाछा क्यों आया मुक्ति जाय के जिनराज प्रभुजी' इसका आप क्या उत्तर देते हैं? उत्तर : पाछा इम आया, निन्हव प्रगट्या है आरे पाँचवें' हम लोग तो मूर्तियों को तीर्थंकरो का शास्त्रानुसार स्थापना निक्षेप मान के स्थापित करते हैं, पर ऐसा करनेवाले खुद ही मोक्षप्राप्त सिद्धों को वापिस बुलाते हैं । देखिये वे लोग हर वक्त चौवीस्तव करते हैं तो एक 'नमोत्थुणं' अरिहंतो को और दूसरा सिद्धों को देते हैं । सिद्धों के नमोत्थुणं में पुरिससिंहाणं' पुरुषवर पुंडरीयाणं, पुरुसवरगन्ध 'हत्थीणं' इत्यादि कहते हैं । पुरुषो में सिंह और वरगन्धहस्ती

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