Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 59
________________ ५८ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। वे भी अब समझ बूझकर मूर्ति उपासक बन रहे हैं जैसे आचार्य विजयान्दसूरि (आत्मारामजी) का जोधपुर में चातुर्मास हुआ उस समय मूर्तिपूजक केवल १०० घर ही थे पर आज ६००-७०० घर मूर्तिपूजकों के विद्यमान हैं । इसी प्रकार तीवरी गांव में एक घर था आज ५० घर हैं । पीपाड में नाम मात्र के मूर्तिपूजक समझे जाते थे आज बराबर का समुदाय बन गया, बीलाडा में एक घर था आज ४० घर हैं, खारिया में संवेगी साधुओं को पाव पानी भी नहीं मिलता था । आज बराबरी का समुदाय दृष्टिगोचर हो रहा है इसी भांति जैतारण का भी वर्तमान है । रुण में एक भी घर नहीं था आज सबका सब ग्राम मूर्तिपूजक है, खजवाना में एक घर था आज ५० घरों में २५ घर मूर्ति पूजनेवाले हैं कुचेरा में ६० घर हैं,और मेवाड मालवादि में भी छोटे-बडे ग्रामों में मंदिर मूर्तियों की सेवा पूजा करनेवाले सर्वत्र पाये जाते है जहां मंदिर नहीं थे वहां मंदिर बन गये जहां मंदिर जीर्ण हो गये थे वहां उनका जीर्णोद्धार हो गया । जो लोग जैन सामाजिक

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