Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 61
________________ ६० हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । देवों के फूलों को छुडवाइयें । चौरी, व्यभिचार, विश्वासघात, धोखावाजी आदि जो महान् कर्मबन्ध के हेतु है इनको छुडवाइये । क्या पूर्वोक्त अनर्थ के मूल कार्यों से भी जैन मंदिर में जाकर नमस्कार व नमोत्थुणं देने में अधिक पाप है कि आप पूर्वोक्त अधर्म कार्यों को उपेक्षा कर जैनमंदिर मूर्तियां एवं तीर्थयात्रा का त्याग करवाते हो । महात्मन् ! जैन मंदिर मूर्तियों की सेवा भक्ति छोडने से ही हम लोग अन्य देवी देवताओं को मानना व पूजना सीखे हैं । वरन् नहीं तो गुजरातादि के जैन लोग सिवाय जैन मंदिरों के कहीं भी नहीं जाते हैं । उपदेशकों से आज कई अों से मंदिर नहीं मानने का उपदेश मिलता है पर हमारे पर इस उपदेश का थोडा ही असर नहीं होता है कारण हम जैन हैं हमारा जैन मंदिरों बिना काम नहीं चलता हैं । जैसे-जन्मे तो मन्दिर, ब्याहैं तो मन्दिर, मरें तो मंदिर, अट्ठाई आदि तप करें तो मंदिर, आपद समय अधिष्ठायक देव को प्रसन्न करें तो मंदिर, संघपूजा करें 'तो मंदिर, संघ पूजा देवें तो मंदिर, दीपमालिकादि पर्व दिनों

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