Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai Author(s): Gyansundarmuni Publisher: Ratnaprabhakar Gyan PushpmalaPage 42
________________ हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । व्रतधारी साधु श्रावकने वन्दन नहीं किया, तो अब जड मूर्ति को कैसे वन्दन करें ? उत्तर : तीर्थंकरने तो जिस दिन से तीर्थंकर नामकर्म बंधा उसी दिन से वन्दनीय हैं जब तीर्थंकर गर्भ में आये थे, तब सम्यक्त्वधारी तीन ज्ञान संयुक्त शकेन्द्रने नमोत्थुणं देकर वंदन किया । ऋषभदेव भगवान के शासन के साधु, श्रावक जब चौबीसस्तव (लोगस्स ) कहते थे, तब अजितादि २३ द्रव्य तीर्थंकरो को नमस्कार ( वंदना) करते थे, नमोत्थुणं के अंत में पाठ है कि - ४१ 'जे अ अइया सिद्धा, जे अ भविस्संति णागए काले । संपइ अ वट्टमाणा, सव्वे तिविहेण वंदामि ।।' इसमें कहा गया है कि जो तीर्थंकर हो गये हैं, और जो होनेवाले हैं और जो वर्तमान में विद्यमान हैं, इन सब को मन, वचन, काया से नमस्कार करता हूं । फिर भी आप तेरह पंथियों से तो अच्छे ही हो, तेरह पंथी भगवान को चूका बतलाते हैं, आप अवन्दनीय बतलाते हो, परंतु भगवान केPage Navigation
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