Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai
Author(s): Gyansundarmuni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 53
________________ ५२ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। १००० वर्ष ही हुए है ? कदापि नहीं, यदि आपको इनसे भी विशेष प्रमाण देखने की इच्छा हो तो, देखो, मेरी लिखी 'मूर्ति पूजा की इतिहास' नामक पुस्तक । प्रश्न ३६ : यह भी सुना जाता है कि मंदिर मार्गियों ने मंदिरों में धामधूम और आरम्भ बहुत बढा दिया, इस हालत में हम लोगों ने मंदिरों को बिलकुल छोड दिया ? उत्तर : शिर पर यदि बाल बढ जाय तो क्या वालों के बदले शिर को ही उडा देना योग्य है ? यदि नहीं तो फिर मंदिरों में आरम्भ बढ़ गया तो आरम्भ और धाम धूम नहीं करने का उपदेश देना था, पर मंदिर मूर्तियों का ही इनके बदले निषेध करना तो बालों के बदले शिर कटाना ही है । जैसे जब शीतकाल आता है तब सभी जन विशेष वस्त्र धारण करते हैं । इस प्रकार जब आडम्बर का काल आया तब धाम धूम (विशेष भक्ति) बढ गए तो क्या बुरा हुआ ? फिर भी अनुचित था तो इसे उपदेशों द्वारा दूर करना था, न कि मंदिरों

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