Book Title: Haa Murti Pooja Shastrokta Hai Author(s): Gyansundarmuni Publisher: Ratnaprabhakar Gyan PushpmalaPage 38
________________ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। ३७ प्रश्न २२ : सूत्रो में चार निक्षेप बतलाए जिस में एक भाव निक्षेपही वन्दनीय है। उत्तर : यदि ऐसा ही है तो फिर नाम क्यों लेते हो ! अक्षरो में क्यों स्थापना करते हों, अरिहंत मोक्ष जाने के बाद सिद्ध होते हैं वे भी तो अरिहंतो का द्रव्य निक्षेप है, उनको नमस्कार क्यों करते हो ? बिचारे भोले लोगों को भ्रम में डालने के लिये ही कहते हो कि एक भाव निक्षेप ही बन्दनीय है, यदि ऐसा ही है तो उपरोक्त तीन निक्षेपों को मानने की क्या जरुरत हैं, परन्तु करो क्या ? न मानों तो तुम्हारा काम ही न चले, इसी से लाचार हो तुम्हें मानना ही पड़ता है । शास्त्रो में कहा है कि जिसका भाव निक्षेप वन्दनीय है उसके चारों निक्षेप वन्दनीय है और जिसका भाव निक्षेप अवन्दनीय है उसके चारों निक्षेप भी अवन्दनीय है । एक आनंद श्रावक का ही उदाहरण लीजिए, उसने अरिहंतो को तो वंदनीय माना और अन्य तीर्थियों को वन्दन का त्याग किया । यदि अरिहंतों का भावनिक्षेप वन्दनीय और तीन निक्षेपPage Navigation
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