________________
२४
गुरु-शिष्य
किसीको स्थापित नहीं किया था। दूसरे संतों के दर्शन किए थे । परंतु गुरुपद पर तो, मुझे अंतर में ठंडक हो तो मैं गुरु बनाऊँ, नहीं तो गुरु नहीं बनाऊँगा। संत सच्चे थे, वह बात पक्की है। लेकिन अपने दिल को ठंडक होनी चाहिए न!
उपकार, पूर्व के गुरुओं का
अब, मेरे इस भव में गुरु नहीं हैं, उसका अर्थ ऐसा नहीं कि भी नहीं थे
I
गुरु कभी
प्रश्नकर्ता : तो पिछले भव में आपके गुरु थे?
दादाश्री : गुरु के बिना तो मनुष्य आगे आता ही नहीं। हर एक गुरु, गुरु के बिना तो आगे आए ही नहीं होते। मेरा कहना है कि बगैर गुरु के तो कोई था ही नहीं ।
प्रश्नकर्ता : पिछले जन्म में कौन थे आपके गुरु ?
दादाश्री : वे बहुत अच्छे गुरु होंगे, लेकिन अभी क्या पता चले हमें ! प्रश्नकर्ता : श्रीमद् राजचंद्र के भी गुरु तो थे ही न?
दादाश्री : उन्हें इस भव में गुरु नहीं मिले थे। उन्होंने ऐसा लिखा है कि यदि हमें सद्गुरु मिले होते तो उनके पीछे-पीछे चले जाते ! लेकिन उनका ज्ञान सच्चा है। उन्हें अंतिम दशा में जो ज्ञान उत्पन्न हुआ, वह आत्मज्ञान उत्पन्न हुआ था।
प्रश्नकर्ता : आपको भी जो ज्ञान हुआ, वह गुरु के बिना ही हुआ न?
दादाश्री : वह सारा पिछला हिसाब कुछ लेकर आए हैं। पहले गुरु मिले थे, ज्ञानी मिले थे, उसमें से सामान लेकर आए हैं और किसी गलती के कारण रुक गया होगा। इसलिए इस अवतार में गुरु नहीं मिले, परंतु पिछले अवतार के गुरु तो होंगे न? पिछले अवतार में गुरु मिले होंगे और इस अवतार में ज्ञान प्रकट हो गया !