Book Title: Guru Shishya
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 42
________________ गुरु-शिष्य दादाश्री : जहाँ पर अपने दिल को ठंडक हो उन्हें गुरु बनाना। दिल को ठंडक नहीं होती, तब तक गुरु मत बनाना। इसलिए हमने क्या कहा है कि यदि गुरु बनाओ तो आँखों में समाएँ वैसे को बनाना। प्रश्नकर्ता : 'आँखों में समाएँ वैसे', मतलब क्या? दादाश्री : ये लोग शादी करते हैं तब लड़कियाँ देखते रहते हैं, तो क्या देखते हैं वे? लडकी आँखों में समाए वैसी ढूँढते हैं। यदि मोटी हो तो उसके वज़न से ज़ोर लगता है, आँखों पर ही ज़ोर पड़ता है, वज़न लगता है। पतली हो तो उसे दुःख होता है, आँखों में देखते ही समझ जाता है। उसी तरह 'गुरु आँखों में समाएँ वैसे' मतलब क्या? कि अपनी आँखों में हर प्रकार से फिट हो जाएँ, उनकी वाणी फिट हो जाए, उनका वर्तन फिट हो जाए, वैसे गुरु बनाना! प्रश्नकर्ता : हाँ, सही है। वैसे गुरु हों तभी उनका आश्रय महसूस होगा उसे। दादाश्री : हाँ, यदि गुरु कभी हमारे दिल में बसें ऐसे हों, उनकी कही हुई सभी बातें हमें पसंद हों, तो उनका वह आश्रित हो जाता है। फिर उसे दुःख नहीं रहता। गुरु, वह तो बहुत बड़ी चीज़ है। अपने दिल को ठंडक हुई, ऐसा लगना चाहिए। हमें जगत् भुला दें, उसे गुरु बनाएँ। देखते ही हम जगत् भूल जाएँ, जगत् विस्मृत हो जाए हमें, तो उन्हें गुरु बनाएँ। नहीं तो गुरु का महात्म्य ही नहीं होगा न! वह किल्ली समझ लेनी है गुरु का महात्म्य बहुत है। लेकिन यह तो कलियुग के कारण यह सब ऐसा हो गया है। यह तो दूषमकाल के कारण गुरुओं में बरकत नहीं रही। वेजिटेबल घी जैसे गुरु हो गए हैं, इसलिए काम नहीं होता न! सभी गुरु गुरुकिल्ली के बिना घूमते रहते हैं। हाँ, तो एक व्यक्ति ने तो मुझे कहा है कि, 'आप तो हमारे गुरु कहलाते हैं।' मैंने कहा, 'नहीं भाई, मुझे गुरु मत कहना। मुझे पसंद नहीं है। गुरु का अर्थ क्या है? बाहर पूछकर आ सब जगह।' गुरु का अर्थ भारी या हल्का?

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