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गुरु-शिष्य
इनमें फर्क क्या रहा फिर ? यदि आप जीते जी कुछ नहीं कर सकते, तो उससे तो यह पुस्तक अच्छी! पावर कुछ होता है या नहीं है? भले मोक्ष का पावर नहीं हो, परंतु संसार व्यवहार का तो होगा न? व्यवहार में भी शांति रहे वैसा कुछ बताइए। आपको यदि शांति हो चुकी होगी, तो हमें होगी। आपको शांति नहीं होगी तो हमें किस तरह होगी फिर ?
लेकिन वह तरीक़ा सिखाइए
यह तो गुरु कहेंगे, 'मॉरल और सिन्सियर बन । बी मॉरल और बी सिन्सियर!' अरे, तू मॉरल बनकर आ न ! तू मॉरल हो जा न, तब तुझे मुझसे नहीं कहना पड़ेगा। मॉरल होकर मुझे कह तो मैं मॉरल हो जाऊँगा । तुझे देखते ही मॉरल हो जाऊँगा। जैसा देखें, वैसा हम हो ही जाएँगे । परंतु वह खुद ही हुआ नहीं है न!
मुझमें वीतरागता हो वह आप देखो, और एक बार देख लें तो फिर होगा। क्योंकि मैं आपको करके दिखाता हूँ, इसलिए आपको एडजस्ट हो जाता है। यानी मैं प्योर होऊँगा तो ही लोग प्योर हो सकेंगे ! इसलिए कम्पलीट प्योरिटी होनी चाहिए।
मैं आपको 'मॉरल बनो' ऐसा नहीं कहता रहता, परंतु 'मॉरल किस तरह हुआ जाता है' वह बताता हूँ। मैं ऐसा कहता ही नहीं कि 'आप ऐसा करो, अच्छा करो, या ऐसे बन जाओ।' मैं तो 'मॉरल कैसे हुआ जाता है' वह बताता हूँ, रास्ता बताता हूँ। जब कि लोगों ने क्या किया है ? 'यह रकम और यह जवाब।' अरे, तरीक़ा सिखा न ! रकम और जवाब तो किताब में लिखे हुए हैं ही, परंतु उसका तरीक़ा सिखा न ! परंतु तरीक़ा सिखानेवाला कोई निकला ही नहीं। तरीक़ा सिखानेवाला निकला होता तो हिन्दुस्तान की यह दशा नहीं हुई होती। हिन्दुस्तान की दशा तो देखो आज ! कैसी दशा हो गई है !!! सच्चे गुरु के गुण
प्रश्नकर्ता : मुझे किस तरह समझना है कि मेरे लिए सच्चे गुरु कौन
हैं?