Book Title: Gnatadharmkathangasutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
जणवयं मझमज्झेणं जेणेव सुरजणवए जेणेव बारवती णयरी जेणेव अग्गुजाणे तेणेव उवा०२हत्थिखंधाओ पच्चोरुहति २ कोडवियपुरिसे सद्दा०२ एवं व०-गच्छह णं तुन्भे देवा! जेणेव बारवई णयरिं बारवर्ति णयरिं अणुपविसह २ कण्हं वासुदेवं करयल एवं वयह-एवं खलु सामी! तुम्भं पिउच्छा कोंती देवी हथिणाउराओ नयराओ इह हवमागया तुन्भं दंसणं कंखति, तते णं ते कोडंबियपुरिसा जाव कहेंति, तते णं कण्हे वासुदेवे कोडंबियपुरिसाणं अंतिए सोचा णिसम्म हथिखंधवरगए हयगय धारवतीए य मज्झंमज्झेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उ० २ हथिखंधातो पच्चोरुहति २ कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेति २ कोंतीए देवीए सद्धिं हत्थिखधं दुरूहति २ पारवतीए णयरीए मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवा० २ सयं गिहं अणुपविसति । तते णं से कण्हे वासुदेवे कोंती देविं पहायं कयवलिकम्म जिमियभुत्तुत्तरागयं जाव सुहासणवरगयं एवं व०-संदिसउ णं पिउच्छा! किमागमणपओयणं,तते णं सा कोंती देवी कण्हं वासुदेवं एवं व०-एवं खलु पुत्ता ! हत्थिणाउरे णयरे जुहिडिल्लस्स आगासतले सुहपसुत्तस्स दोवती देवी पासाओ ण णजति केणइ अवहिया जाव अवक्खित्ता वा, तं इच्छामि णं पुत्ता! दोवतीए देवीए मग्गणगवेसणं कयं, तते णं से कण्हे वासुदेवे कती पिउच्छि एवं व०-जं णवरं पिउच्छा ! दोवतीए देवीए कत्थइ सुई वा जाव लभामि तो णं अहं पायालाओ वा भवणाओ वा अद्धभरहाओ वा समंतओ दोवर्ति साहत्थिं उवणेमित्तिकट्ठ
-
dain Education International
For Personal & Private Use Only
www.janelibrary.org

Page Navigation
1 ... 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510