Book Title: Gnatadharmkathangasutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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णिया वा अन्नस्स र जाव सबालंकावा ओहयः
असोगवणिया, तं ण णज्जति णं अहं केणई देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधवेण वा अन्नस्स रण्णो असोगवणियं साहरियत्तिकट्ठ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायति, तते णं से पउमणाभे राया हाए जाव सवालंकारभूसिए अंतेउरपरियालसंपरिबुडे जेणेव असोगवणिया जेणेव दोवती देवी तेणेव उवा० २ दोवती देवीं ओहय. जाव झियायमाणीं पासति २ ता एवं व०-किण्णं तुमं देवा० ! ओहय जाव झियाहि ?, एवं खलु तुम देवा! मम पुत्वसंगतिएणं देवेणं जंबुद्दीवाओ २ भारहाओ वासाओ हथिणापुराओ नयराओ जुहिडिल्लस्स रणो भवणाओ साहरिया तं मा णं तुम देवा! ओहय. जाव झियाहि, तुम मए सद्धिं विपुलाई भोगभोगाइं जाव विहराहि, तते णं सा दोवती देवी पउमणाभं एवं व०-एवं खलु देवा! जंबुद्दीवे २ भारहे वासे बारवतिएणयरीए कण्हे णामं वासुदेवे ममप्पियभाउए परिवसति, तं जति णं से छहं मासाणं ममं कूवं नो हवमागच्छद तते णं अहं देवा! जं तुमं वदसि तस्स आणाओवायवयणणिद्देसे चिहिस्सामि, तते णं से पउमे दोवतीए एयमढे पडिसुणेत्तार दोवतिं देविं कण्णंतेउरे ठवेति, तते णं सा दोवती देवी छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणंभावेमाणी विहरति (सूत्रं१२३) तते णं से जुहुढिल्ले राया तओ मुहुत्तरस्स पडिबुद्धे समाणे दोवतिं देवि पासे अपासमाणो सयणिजाओ उढेइ २ त्ता दोवतीए देवीए सवओ समंता मग्गणगवेसणं करेइ २त्ता दोवतीए देवीए कत्थइ सुई वा खुई वा पवत्तिं वा अल
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