Book Title: Epigraphia Indica Vol 18
Author(s): H Krishna Shastri, Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 368
________________ No.29.] FOUR BHANJA COPPER-PLATE GRANTS. ____297 6 सरिस्तो(तो)योर्मयः पान्तु वः ॥२*] स्वस्ति विजयवक्षुखकात् [1] [*]स्ति थि(श्री)वि. 7 जयोनिलयप्रकटगुणगणग्रस्तसमस्तरिपुवर्ग(ग) पा(च)नो(मो)धक8 लश(शो) नाम राजा तकलिकलुषकाष[:] भष्चामलकुल[तिल']को 9 महाराजश्रीरणभन्जदेवस्य प्रप्तौ(पौ):*] श्रीदिग्भजदेवस्य न10 नप्तात् श्रीथिलामजदेवस्य सुत[*] परममाहेखरो मा Second Plate ; First Side. 11 [ता-पितुपादानुध्यातो भचामलकुलतिलको महाराजग्रीविद्या12 ध[र*]भञ्ज[देव[:"] कुशली माछाडखण्डविषये यथाकालाध्यासिकुडु(टु) वि(म्बि)न[:] 13 सामन्तविषयपतिभोगिभोग्यादि यथाहिं(है) मानयति वो(बो)[ध]यति स14 म[*]ज्ञापयति सर्वत: शिवमस्माकमन्य हिदितमस्तु भवता(तां) एतहि15 ष[यसम्व(म्ब)ह(हो) मु(मूलमाछाडग्रामोय (यं) ॥ चतुस्सीमापरिच्छियो(ब्रो) 16 मातापि[वोरात्मनश्च पुन्या(ण्या)भिवृदये मा(प्रा) चन्द्राक(क) पावत स लिल17 धागपुरस्मरण विधिना करत्वेनि*] वाजसनेयचरणाय रोहित18 सगोत्राय रोहित[*]ष्टकविश्वामित्रप्रवराय विश्वामित्रवत् [*]19 टकवत् रोहितवत् अनुप्रवराय वरश्चि(बि)समन्ध(म्ब) तडिसमाविषय(ये) Second Plate ; Second Side. 20 मम्माणाविनिर्गतहरिश शर्मणो नप्ता(छे) देवडशर्मणस्य : 21 सुतभट्टपुरन्दरः प्रतिपादितोस्माभिय(: । यस्य यस्य यदा भु(भू)मिस्त22 स्यतस्य तदा फलं [*] माभुय(भूद) फलशङ्का व[*] परदत्तानुपालन: (ने) [॥३] स्व23 दत्ता(त्तां) परदता(त्ता)म्वा यो हरति(त) वसुन्धरान्(म्) । स्व(स) विष्ठाया(यां) क्वमि (म)24 वा पितभिमह पच्यते ॥[*] इति कमलद[ल*]म्बु(म्बु)25 वि(बिन्दुलोला(ला) श्रियमनुचिन्त्य मनुष्यजीवितच [1] स26 कलमिदम(मु)दात(त)ञ्च (बु)ध्वा न हि पुरुषे[:] परको. Third Plate. 27 त्तयो विलोप्य(प्याः) [*] इति [*] लाञ्छितं श्रोतृ(त्रि)कलिङ्गमा(म). हा[]28 व्या मा(म)त्रिणा श्रीभा(भ)हकेख (शव)देवेन ॥ वालिकचाचिक(क)न 1 Metre: Sardalavikridita. . Read अमीविषय:• Delete [As well as at the commencement of the line.--Ed.] • Here some words appear to have been omitted through oversight. Lpparently the correct reading wu मागभीग्वादिननपदाच. • Panctuation unnecesney. •[See foot-noto No. 2 on p. 285 above.-Rd.] I Probably M. [Delete स्व -d.] • Read सुताय महपुरन्दराय. 10 Matre: Puskpitágra, 2.

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