________________
62
दृष्टि का विषय
१३
स्वात्मानुभूति आत्मा के किस प्रदेश में ?
किसी को प्रश्न होता हो कि स्वात्मानुभूतिरूप अनुभव अर्थात् शुद्धात्मा में 'मैंपना' अतीन्द्रिय ज्ञान शरीर में किस भाग में होता है ? उत्तर - उसके उत्तररूप से पंचाध्यायी पूर्वार्द्ध की छह गाथाओं में बतलाया है कि हृदय कमल में रहे हुए भावमन और द्रव्यमन में।
=
-
गाथा ७११-७१२-अन्वयार्थ - 'उसका स्पष्टीकरण इस प्रकार है कि इस शुद्धात्मानुभूति के समय में स्पर्शन, रसना, ग्राहण, चक्षु और स्रोत्र इस प्रकार पाँचों इन्द्रियाँ उपयोगी नहीं मानी हैं परन्तु वहाँ केवल मन ही उपयोगी मानने में आया है तथा यहाँ निश्चय से अपने अर्थ की अपेक्षा से नौइन्द्रिय है दूसरा नाम जिसका ऐसा वह मन, द्रव्यमन तथा भावमन इस प्रकार दो प्रकार का है।'
गाथा ७१३-‘जो हृदय कमल में घनांगुल के असंख्यातवें भागमात्र है प्रमाण जिसका, ऐसा द्रव्यमन होता है, वह अचेतन होने पर भी ज्ञान के विषय को ग्रहण करते समय भावमन को सहायता करने में समर्थ होता है, अर्थात् द्रव्यमन, भावमन को सहायता करता है । '
अर्थात् किसी को लगे कि मुझे अनुभव हृदय के भाग में ही होता है, परन्तु ऐसा एकान्त से नहीं है क्योंकि द्रव्यमन हृदयकमल में भले हो, परन्तु भावमनरूप आत्मा का क्षयोपशम, वह आत्मा सर्व प्रदेशों में होने से अनुभूति सम्पूर्ण आत्मा की होती है और वह सर्व प्रदेश में होती है।
गाथा ७१४-अन्वयार्थ-‘स्व आवरण के क्रमपूर्वक उदीयाभावीक्षय से ही लब्धि और उपयोगसहित जो केवल आत्म उपयोगरूप ही आत्मा का परिणाम है, वह भावमन है।' अर्थात् भावमन आत्मा के सर्व प्रदेशों में है ।
गाथा ७१५-७१६-अन्वयार्थ - 'स्पर्श, रसना, घ्राण, चक्षु, स्रोत्र ये पाँचों इन्द्रियाँ एक मूर्तिक पदार्थ को जाननेवाली है तथा मन, मूर्तिक और अमूर्तिक दोनों पदार्थों को जाननेवाला है। इसलिए यहाँ यह कथन निर्दोष है कि स्वात्मा ग्रहण में निश्चय से मन ही उपयोगी है, परन्तु इतना विशेष है कि विशिष्टदशा में (अतीन्द्रियज्ञान में = स्वात्मानुभूति में ) वह मन स्वयं ही ज्ञानरूप हो जाता है । '
यहाँ समझना यह है कि जो भावमन कहा है, वह आत्मा के ज्ञान का ही क्षयोपशमरूप एक उपयोग विशेष है, अन्य कुछ नहीं, अजीवद्रव्य नहीं है और वह भावमन आत्मा का विशिष्ट क्षयोपशम होने से वह आत्मा के सर्व प्रदेशों में होता है, परन्तु द्रव्यमन हृदय कमल में होने से उस अपेक्षा से स्वात्मानुभूतिरूप अनुभव हृदय कमल में होता है - ऐसा कहा जाता है।
60