Book Title: Dravya Sangrah Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust View full book textPage 8
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates मंगलाचरण मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।१।। ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः। कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमोनमः।।२।। सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारकं। प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयतु शासनम्।।३।। अज्ञानतिमिरान्धानां ज्ञानान्जनशलाकया। चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।४।। आत्मा ज्ञानं स्वयं ज्ञानं ज्ञानादन्यत्करोति किम्। परभावस्य कर्तात्मा मोहोऽयं व्यवहारिणाम्।।५।। Please inform us of any errors on Rajesh@ AtmaDharma.comPage Navigation
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