Book Title: Dhammapada 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ वद्ध एक ऐसे उत्तुंग शिखर हैं, जिसका आखिरी शिखर हमें दिखायी नहीं पड़ता। बस थोड़ी दूर तक हमारी आंखें जाती हैं, हमारी आंखों की सीमा है। थोड़ी दूर तक हमारी गर्दन उठती है, हमारी गर्दन के झुकने की सामर्थ्य है। और बुद्ध खोते चले जाते हैं-दूर...हिमाच्छादित शिखर हैं। बादलों के पार! उनका प्रारंभ तो दिखायी पड़ता है, उनका अंत दिखायी नहीं पड़ता। यही उनकी महिमा है। और प्रारंभ को जिन्होंने अंत समझ लिया, वे भूल में पड़ गए। प्रारंभ से शुरू करना; लेकिन जैसे-जैसे तुम शिखर पर उठने लगोगे, और आगे, और आगे दिखायी पड़ने लगेगा, और आगे दिखायी पड़ने लगेगा। ओशो एस धम्मो सनंतनो भाग 1

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 282