Book Title: Devki Shatputra Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 6
________________ ॥मु०॥४॥हुँ पूर्बु श्ण कारणे जी रे, साधां न लीधो आहार ॥ माहरे पुण्य तणे उदय जी रे, मुनिवर श्राव्या त्रीजी वार ॥ मु॥५॥ मुनिवर उत्तर एम कहे जी रे, नयरीमा बहु दातार ॥ त्रण संघामाशुं नीकल्या जी रे,अमे बए अणगार॥मु०॥६॥वलतो मुनिवर एम कहे जी रे, तुं शंका मत आण ताहरे पहेला वहोरी गया जीरे, ते मुनिवर पुजा जाण ॥ देवकी लोन नहीं ले काय ॥ ए आंकणी॥७॥ देवकी मन अचरिज थयुंजीरे,ए किण माये जाया रे पुत ॥ रूप सुंदर अति शोजता जी रे, मुनिवर कामीनूत॥मु०॥॥श्रामी करीने एम कहे जी रे, सांजलजो मुनिराय ॥उत्पत्ति तुमारी किहां श्र जी रे, ते दी मुज बताय ॥ मु०॥ ए॥ कोण नयरीथी नीकल्या जी रे, तुमे वसता कोण ग्राम ॥ केहनाडगे तुमे दीकरा जी रे, कहेजो तेहy नाम ।मु०॥१०॥ नाग शेठना श्रमे दीकरा जी रे, सुलसा अमारी माय ॥ नदिलपुरना वासीयाजी रे, संयम लीधो गए नाय ॥मु॥११॥वत्रीशे रंजा तजी जीरे, बत्रीश बत्रीश दाय ॥ कुटुंब मेल्यो श्रमे रोवतो जी रे, विल विल करती माय ॥ मु० ॥ १५ ॥सर्व गाथा ॥ ३०॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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