________________
(३६) तंबोल,आज हो केशरीये वाघेरे कस कोण बांधशे जी ॥ ए॥ नित्य नवां वस्त्र सिणगार, करवा मनोहर
आहार, आज हो अरस निरस थाहार ने मेला कापडां जी॥ १०॥ सहेज बिदाइ फूल सार, तोहे नावे निंद लगार, आज हो मानसंथारे सुवु दिन दिन दोहिढुंजी॥ ११॥पीयूँ उनुनीर, सहेवु पुःख शरीर, श्राज हो जाए करीने सागर तरवो दोहिलो जी ॥ १२ ॥ बावल देवी बाथ, लोह चणा देश हाथ, आज हो मीण तणे रे दांते चावण दोहिलो जी ॥ १३ ॥ वलतो कुमर अबीह, वचन कहे जेम सिंह, थाज हो कायरनुं हियडु रे कंपे अति घणुं जी ॥१४॥हुं तो सिंह जेम शूर, पालुं संयम पूर, श्राज हो चारित्र पाली शिवरमणी वरं जी॥१५॥इंद चंद नरिंद, दाणव देव मुणींद, श्राज हो अथिर संसारमें सबल के बाथडे जी॥१६॥ तीर्थंकर गणधार, वासुदेव चक्री सार, श्राज हो एहवा वीर पण थिर कोइ नवि रह्या जी ॥ १७ ॥ तो अवरां कुण वात, एम अवधारो मात, आज हो मोह निवारण था कामी मुज तणा जी ॥ १७ ॥ तो शुं अत्यंत स्नेह, एम जीव दोय देह, थाज हो तुज विहुणी माता केम
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org