Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 36
________________ (३५) ॥ ते विस्तार तो बे घणो, अंतगम मांहे प्रसि॥१॥ वलती कहे राणी देवकी, रे पुत्र तुंलघुवेश ॥संयम उक्कर सही, ते तुं केम पालेश ॥२॥ ___॥ ढाल श्रढारमी ॥ ॥ लाउलदे मात मलार ॥ ए देशी ॥ वली एम कहे कुमार, आणी प्रेम अपार, श्राज हो श्रमीय रे समाणी वाणी सांजली जी॥१॥उपनो मन वैराग, संयम उपर राग, आज हो धन सजान सहु दीसे का रिमो जी॥२॥में जाएयो सर्व असार, एकज धर्म आधार, आज हो बेकर जोमी माताने एम विनवे जी ॥३॥ माता पिताना पाय, प्रणमे सुत सुखदाय, श्राज हो अनुमति दीजे माता मुज जणी जी॥४॥ सुण वत्स तुं लघुवेश, हुं केम दे उपदेश, आज हो सुत पाखे मावमी एकली किम रहे जी॥५॥वचन अपूरव एह, श्रवणे सुएयां गहगेद, आज हो जलजर नयणे बोले राणी देवकी जी ॥६॥ ते पुत्र न पाले दीरक, पालवी सुगुरु शिख, श्राज हो घर घरनी निदा नमंता दोहिली जी॥७॥ जावजीव निर्धार, चालवू खांमाधार, आज हो बावीश परिषद बलवंत जीतवा जी॥॥शाल दाल घृत गोल, कोण देशे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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