Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 40
________________ (३ए) सवनी अब तयारी करो जी॥४०॥खनंमार खोलाय, तीन लाख नाणुं कढाय, आज हो वेगे रे मंगावो रजोदरण पातरां जी ॥४१॥ नारायणे तेमहीज कीध, श्राझा सेवकने दीध,आज हो सामग्री सरवे संयमनी सऊ करे जी ॥ ४२ ॥ कुंअरने निश्चल जाण, माता अमृत वाण, आज हो आशिष दीये राणी देवकी जी॥४३॥धन्य द श्राज, सफल फल्यां मुज काज, आज हो चरणना शिष्य थाशुश्रीनेमनाथना जी ॥४४॥ वाजां ने नीशाण, बेसारी शिबिका आण, आज हो आणीने सोप्या ने श्रीजगनाथने जी॥४५॥ रहेती एहने तंत, हुं तो इष्टने कंत, आज हो तुमने रे सोंपुं बुंप्रजुजी शिष्य नणी जी॥४६॥ प्रजुजीए दीक्षा दीध, कुंअरनुं कारज सीध, श्राज हो माता पिता रे कुंअर प्रत्ये कहे जी ॥ ४ ॥धरजो मन शुजध्यान, दिन दिन चमते वान, आज हो सिंह तणी परे संयम पालजो जी ॥४॥ तव ते देवकी नार, कहे प्रजुने वारंवार, बाज हो तप करतां एहने तमे वारजो जी॥ ४ ॥ एणे ए नवह मकार, फुःख नवि दीतुं लगार, श्राज हो देव तणी परे सुख एणे जोगव्यां जी ॥५०॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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