Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 41
________________ (४०) मुख्या तरस्यानी चाह, करजो एहनी संजाल, आज हो जालवजो एहने रुमी परे घणुं जी॥५१॥माहरी हती पोथीने बाथ, ते दीधी तुम हाथ, आज हो जेम जाणो तेम हवे तमे राखजो जी ॥५२॥स०॥श्ए॥ ॥दोहा॥ ॥ एम कही पाग वट्या, देवकी ने परिवार ॥ पली कृष्ण पण वांदीने, पहोता नगर मजार ॥१॥ प्रजुजीए दीदा देश, शिखव्यो सर्व श्राचार ॥ प्रजु पासे विनये करी, नणे अंग ग्यार ॥२॥र्यासमिति शोजता, थया गज अणगार ॥ बकाय तणी रक्षा करे, पाले पंचाचार ॥३॥ ॥ ढाल उंगणीशमी॥ ॥ सोरठ देश सोदामणो ॥ ए देशी ॥ - ॥ दीदा दिन प्रनु वांदीने, मशाणे संध्याकाल रे ॥ पमिमा गश्कानस्सग्ग रह्या, तिहां सोमल आव्यो चाल रे ॥ सोजागी शुक्लध्याने चढ्यो ॥ ए श्रांकणी ॥१॥मुनि देखी वैर उबस्यो, थयो कोपांतर काल रे॥ विण अवगुण मुज पुत्रीनो, जनम खोयो तें बाल रे ॥सो॥२॥एम बहुरीसे परजली, बांधी माटीनी पाल रे ॥ केसु वरणा माथे धस्या, धगधगता खेर अंगार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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