Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 30
________________ (ए) रे॥सु०॥ने॥१॥ वनपालकने विदाय करी रे लाल, पड़ी चाकरने तेमाय रे ॥ सु ॥ कौमुदी र वजामीने रेलाल, सांजली सहु सज थाय रे॥सु॥ने॥ ॥१९॥ उठो रे लोको सिताबशं रे लाल, रखे अवेला थाय रे ॥ सु०॥ एक घमी दर्शन विना रे लाल, क्षण लाखीणो जाय रे ॥ सु ॥ ने ॥ १२॥ कोश कहे द रिशण देखशुं रे लाल, कोइ कहे सुणशुं वाण रे ॥ सु॥ कोइ कहे संशय बेदश्यां रे लाल, कोश कुतूहल जाण रे॥ सु०॥ने ॥ १३॥ स ॥ १६॥ ॥ दोहा॥ ॥ एम विविध परे चिंतवी, बहु नारीनां वृंद ॥ स्नान करी शिणगारीयां, मनमां धरी आणंद ॥१॥ नगर मध्ये थश्नीकल्यां, चढी हय रथ गयंद ॥ पंच अनिगम साचवी, वांद्या नेम जिणंद ॥२॥ ॥ ढाल पंदरमी ॥ ॥श्रीसुपास जिनराज,तुं त्रिजुवन शिरताज॥ए देशी॥ ॥ सोरठ देश मकार, सारिका नगरी सार, श्राज हो वसुदेव रे राजा राज्य करे तिहां जी ॥१॥ नाश् दशे दशार, बलन कान कुमार, थाज हो दीपे रे सोहागण राणी देवकी जी ॥२॥ तस लघु पुत्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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