Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ दीयो संसार ॥ सां॥ म॥५॥ बहने पारणे ॥ सांग ॥ जावजीव निर्धार ॥ अंतर हमारे को नहीं जी, जे ए तप तणो विचार ॥ सां॥ म॥६॥ आज बहने पारणे ॥सां॥श्राव्या नयरी मकार ॥ दोय दोय मुनिवर जूजूश्रा जी, एम श्राव्या त्रीजी वार ॥सां०॥ म॥७॥ सर्व गाथा ॥४॥ ॥दोहा॥ ॥ वली वली कीधी विनति, तुमे महोटामुनिराय ॥ घरमां त्रोटो श्यो पड्यो, ते दीयो मुज बताय ॥ ॥१॥ वलता मुनिवर बोलीया, तुमे सुणो मोरी माय ॥ घरमा त्रोटो जे पड्यो, ते देख तुज बताय ॥२॥ ॥ ढाल चोथी॥ ॥ पुण्य तणां फल मीगं रे जाणो ॥ ए देशी ॥ ॥ उंचा महोल सोहामणा, रचीया विविध प्रकार रे मा॥ तद्वद् रूपे सारखी, परणावी बत्रीशे नार रे मार ॥ पुण्य तणां फल मीग रे जाणो॥ ए आंकणी॥१॥ परणीने जब घर श्रावीया, सासुने लागी पाय रे मार ॥ तव वढूने शधि घणी जे, थापीते मुज माय रे मा॥ पुण्य॥२॥वत्रीश क्रोम सोनैया जाणो, बत्रीश रुपैया सार रे मा॥ बत्रीश बक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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