Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 7
________________ (६) ॥ दोहा ॥ ॥ मुनिवचन श्रवणे सुणी, चिंते चित्त मकार ॥ एहवो परिवार तजी करी, लीधो संयमजार ॥ १ ॥ हाथ जोगीने विनवे, सांजलजो मुनिराय ॥ किस्या दुःखथी तुमे नीकल्या, ते दीयो मुज बताय ॥ २ ॥ 11 ara álcíl 11 ॥ खम खम मुज अपराध ॥ ए देशी ॥ ॥ जातो काल न जाणता, सांजल रे बाइ ॥ रहेता महोल मकार ॥ दास दासी परिवारशुं जी, वली बत्रीश बत्रीश नार ॥ सांजल रे बाइ, म करीश मन उच्चाट || एकणी ॥ १ ॥ जगवंत नेम पधारीया ॥ सां० ॥ साधुने परिवार ॥ श्रमे जगवंतने वांदीया जी, वली सुणीयो धर्म विचार ॥ सां० ॥ म० ॥ २ ॥ वाणी सुणी वैरागनी ॥ सां० ॥ जाएयो अथिर संसार ॥ सुख जाण्यां सह कारमां जी, श्रमे लीधो संयमजार ॥ सां० ॥ म० ॥ ३ ॥ चार महाव्रत यादस्यां ॥ सां० ॥ चारे मेरु समान ॥ त्यजी संसार संयम लीयो जी, दीघो बकायने अजयदान ॥ सां० ॥ म० ॥ ॥४॥ माता मेली श्रमे जूरती ॥ सां० ॥ तजी बत्रीशे नार || सघलां वलवलतां रह्यां जी, में तो बोम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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