Book Title: Devki Shatputra Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ( १२ ) ॥ दोहा ॥ ॥ बालपणे बोल्यो हतो, अश्मंतो अणगार ॥ श्राव जणीश बाइ देवकी, बीजी नहीं जरत मजार ॥ १ ॥ एदवा पुत्र जनम्या विना, केम थाये आणंद ॥ माहरे संशय बे घणो, ते जांगे नेम जिणंद ॥ २ ॥ देवकी मन सांसो थयो, जइ पूढं इणी वार ॥ केवलज्ञानी मन तणा, संशय जांगणदार ॥ ३ ॥ एम चिंतवी राणी देवकी, वंद श्रीजिनराय ॥ सामग्री सर्व सजी करी, हरष धरी मन मांय ॥ ४ ॥ ॥ ढाल सातमी ॥ ॥ हांरे लाल शीयल सुरंगा मानवी ॥ ए देशी ॥ हांरे लाल चाकर पुरुष तेमावीने, देवकी राणी बोले वाप रे लाल || खिप्पामेव जो देवाणुपिया, तुं रथ वेगो जोतराव रे लाल ॥ नेम वंदने जायशुं ॥ १ ॥ ए यांकणी ॥ हांरे लाल चाकर सुणी हर्षित थयो, गयो जिहां यानशाल रे लाल || तिहां जश्ने स कस्यो, रथ रुडो विसराल रे लाल || नेम० ॥ २ ॥ ॥ दां० ॥ चाल उतावली श्रति घणी, वली उपगरण हलवां जाए रे लाल || बाहिरली जवठाणशाल में, रथ उजो राखी आण रे लाल ॥ नेम० ॥ ३ ॥ हां० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50